मूल विधि | Mool Vidhi | भारतीय दंड विधान, 1860 | परीक्षोपयोगी प्रश्न उत्तर | भाग - 1




मूल विधि | Mool Vidhi | भारतीय दंड विधान, 1860 |परीक्षोपयोगी प्रश्न उत्तर| भाग - 1 

  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता को कब लागू किया गया ?  -    1 जनवरी 1862 में
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता किस राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत पर लागू होती है ?  -   जम्मू कश्मीर
  • Aao Jaane जम्मू - कश्मीर राज्य में कौन सी दंड संहिता लागू होती है ? -   रणबीर दंड संहिता
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 1 संबंधित है -   संहिता के नाम और उसके परिवर्तन के विस्तार से
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के अनुसार  -    जो व्यक्ति भारत के राज्य क्षेत्र के अंतर्गत अपराध करता है
    वह इस संहिता द्वारा दंडित किया जाएगा |

  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की कोई बात ……... के उपबंधो पर प्रभाव नहीं डालती है -   विशेष विधि या स्थानीय विधि
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार -   विशेष विधि वह विधि है जो किसी विशिष्ट विषय पर लागू हो |
  • Aao Jaane  भारतीय दंड संहिता की धारा 42 के अनुसार -  स्थानीय विधि वह विधि है जो भारत के किसी विशिष्ट भाग में 
    लागू हो |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 53 में निम्न प्रकार के दंड बताए गए हैं : -   मृत्युदंड, आजीवन कारावास,
     कारावास  (कठोर श्रम के साथ कारावास तथा सादा कारावास ) ,  संपत्ति का समपहरण, जुर्माना |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 57 के अंतर्गत आजीवन कारावास को 20 वर्ष के कारावास के तुल्य गिना जाएगा |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 76 से 95 तक की धाराएं क्षमा योग्य बचाओ से संबंधित हैं | 
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 96 से 106 तक की धाराएं न्यायोचित प्रतिरक्षा से संबंधित हैं |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धाराएं 121, 132, 194, 302, 305, 307, 364 -क और 396 में मृत्युदंड 
    दिए जाने का प्रावधान है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 73 के अनुसार अभियुक्त को एकांत परिरोध में रखने की अधिकतम अवधि 3  माह 
     की है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 78 के अंतर्गत न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य 
    अपराध नहीं है |
  • Aao Jaane एक जल्लाद जो मृत्युदंड निष्पादित करता है, भारतीय दंड संहिता की धारा 78 के अंतर्गत आपराधिक दायित्व
     से मुक्त है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 80 में वर्णित है कि कोई बात अपराध नहीं है जो दुर्घटना से घटित होता है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 82 के अंतर्गत कोई बात अपराध नहीं है जो 7 वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा 
    की जाती है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 83 के अंतर्गत 7 वर्ष के ऊपर किंतु 12 वर्ष से कम आयु की अपरिपक्व समझ के
    ' शिशु ' को आपराधिक दायित्व से उन्मुक्त प्राप्त है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 84 के अंतर्गत  विकृत चित्त व्यक्ति के कार्य को अपराध नहीं माना जाता है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 85 में अनैच्छिक (अपनी इच्छा के विरुद्ध )  मत्तता के आधार पर 
    आपराधिक दायित्व से प्रतिरक्षा का प्रावधान करती है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 86 संबंधित है -   स्वैच्छिक मत्तता
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 96 से 106 तक में व्यक्ति के शरीर तथा संपत्ति संबंधी प्रतिरक्षा के अधिकारों 
    का वर्णन किया गया है |
  • Aao Jaane जयदेव बनाम स्टेट वाद का संबंध आत्मरक्षा के अधिकार से है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 120 -ए मेंआपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा दी गई है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 120 -बी में आपराधिक षड्यंत्र के लिए दंड का प्रावधान दिया गया है |

  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 124 -ए राजद्रोह को परिभाषित करती है |
  • Aao Jaane भारतीय दंड संहिता की धारा 141 में विधि विरुद्ध जमाव को परिभाषित किया गया है | 
  • Aao Jaane विधि विरुद्ध जमाव : धारा 141 के अनुसार, 5 या अधिक व्यक्तियों का जमाव विधि विरुद्ध जमाव कहा जाता है |